माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने Case :- WRIT - A No. - 22965 of 2018 को निस्तार करते हुए
*माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने Case :- WRIT - A No. - 22965 of 2018 को निस्तार करते हुए*
Order Date :- 3.12.2019 को आदेश दिया है कि किसी कर्मचारी की पेंशन तब तक नहीं रोकी जा सकती है जब तक कि उसे किसी विभागीय या न्यायिक कार्यवाही में दोषी करार न दे दिया गया हो।
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने कहा है कि यदि किसी कर्मचारी की पेंशन तब तक नहीं रोकी जा सकती है जब तक कि उसे किसी विभागीय या न्यायिक कार्यवाही में दोषी करार न दे दिया गया हो।
सिर्फ आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के आधार पर पेंशन का भुगतान नहीं रोका जा सकता है।
कोर्ट ने आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के आधार पर सब इंस्पेक्टर की पेंशन रोकने का आदेश रद्द कर दिया है।
और कहा है कि याची को बकाए सहित पूरी पेंशन राशि दो माह के भीतर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने देवरिया के दरबारी यादव की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है ।
याची के विद्वान अधिवक्ता का कहना था कि याची के खिलाफ देवरिया के रामपुर थाने में एक आपराधिक मामला दर्ज है। पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी है।
मामला अभी कोर्ट में लंबित हैं। याची का कहना है कि रेगुलेशन 351 के तहत राज्य सरकार अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पेंशन या अन्य परिलाभों का भुगतान रोक सकती है।
जब पेंशन पाने वाला कर्मी अपराध में कोर्ट या विभागीय कार्यवाही में दोषी ठहराया गया हो ।
रेगुलेशन 351 ए के तहत राज्य सरकार को अधिकार है कि यदि विभागीय या न्यायिक कार्रवाई में कर्मचारी पर लापरवाही या धोखाधड़ी कर आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप सिद्ध पाया गया हो तो उससे नुकसान की भरपाई करने का अधिकार है।
याची के मामले में न तो उसे कोर्ट कार्यवाही में दोषी करार दिया गया है और न ही उसके खिलाफ कोई विभागीय कार्यवाही की गई है। इस पर कोर्ट ने बकाया सहित पूरी पेंशन के भुगतान का निर्देश दिया है।
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Allahabad High Court
HIGH COURT OF JUDICATURE AT
ALLAHABAD
Advocate C.Singh
9140976573
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