सूरजपुर आर्यावर्त ग्रामीण बैंक परिसर में नही दिखा कोरोना का भय



*सूरजपुर बैंक परिसर में बैंक कर्मी व जिले के बैंक अधिकारी रहे मौजूद नही दिखा कोरोना का भय* 




*बाराबंकी* कोरोना की दूसरी लहर ने दहशत बढ़ा दी है। कई राज्यों में हालत काबू से बाहर हो गए है,लेकिन क्षेत्र की बैंकों में कोरोना लॉकडाउन का फरमान टूट रहा है।कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते दायरे में शासन-प्रशासन को चिंतित करके रख दिया है।सरकार लोगो से मिलने जुलने में एहतियात बरतने को कह रही तो वही लॉकडाउन में शारीरिक दूरी को कायम रखने को लेकर भी तमाम तरह के निर्देश देने के बावजूद लोगों की मनमानी थम नहीं रही हैं।सूरजपुर आर्यावर्त ग्रामीण बैंक परिसर में नजारा कुछ और देखने को मिला।यहां पर कोरोना के नियमों का तो उल्लंघन हो ही रहा है,उसके साथ वायरस फैलने का बड़ा माध्यम बन रहा है।बड़े बड़े स्लोगल काउंटर के ऊपर चिपका कर लोगो को निर्देशित कर रहे है कि बिना मास्क के बैंक में प्रवेश नही होगा,शारीरिक दूरी बहुत जरूरी लेकिन खुद बैंक कर्मचारी इस नियम का पालन करते नजर नही आये।कुछ कर्मचारी मास्क दिखवा मात्र के लिए लगाए थे।बैंक परिसर में शारीरिक दूरी बनाए रखने के आदेश का खुला उल्लंघन जारी रहा,सबसे अहम तो यह कि बैंक कर्मचारी के साथ जिले के बैंक अधिकारी भी मौजूद रहे। यदि यही दशा रही तो कोरोना संक्रमण को रोकना आसान नहीं होगा।कोरोना महामारी को लेकर सभी में खौफ कायम है।यह जानते हुए भी की दो गज दूरी बहुत ही जरूरी और इसमें लापरवाही से संक्रमण बढ़ सकता है। इसके बाद भी देवीगंज स्थित बैंक आर्यावर्त ग्रामीण बैंक सूरज पुर शाखा के बैंक कर्मचारी व अधिकारी गंभीर नहीं हो रहे हैं। मंगलवार को आर्यावर्त ग्रामीण बैंक सूरजपुर परिसर में सुबह ही ग्राहकों की उमड़ी भीड़ देखकर लग रहा था कि कोरोना वायरस पुनः विकराल रूप ले सकता है।बैंक में बैंक मित्र से लेकर आम लोग जल्दी पैसा निकालने की जल्दी में एक-दूसरे से इस तरह सटे नजर आए मानों कोरोना वायरस का कोई भय न हों।जहां पुलिस की मौजूदगी के बाद भी शारीरिक दूरी को बनाए रखने को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखी। उधर पुलिस व बैंक के कर्मी भी शारीरिक दूरी को बनवाए रखने को लेकर पूरी तरह से उदासीन बने रहे।इसी कड़ी में बैंक मित्र भी शाखा परिसर में ही जमे रहते है,क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।जिस तरह से कोरोना वायरस लोगों को जकड़ता जा रहा है,ऐसे ही हालातों में वो दिन दूर नहीं, जब सरकार को मजबूर होकर लाकडाउन की घोषणा न करनी पड़ जाए।बैंकों में हालात बदतर हैं।बेकाबू होते हालत को काबू में करने के लिए जागरूकता को हथियार बनाना होगा।

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