क्षेत्र में जब तक मैं रहूंगा नहीं होने दूंगा गैरकानूनी काम:- ) खालिद अंजुमन उप जिलाधिकारी (




गाजियाबाद। बेड और वेंटिलेटर न मिलने से मरीज तड़प रहे हैं, लेकिन अस्पताल खाली होने के बावजूद बेड नहीं दे रहे। उन्हें मनमाने दामों पर दिया जा रहा है। शुक्रवार को एसडीएम खालिद अंजुम और नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार ने औचक निरीक्षण किया तो हकीकत सामने आ गई। नया बस अड्डा के पास स्थित सुशीला अस्पताल और गोविंदपुरम के पेलेटिव अस्पताल में सामान्य बेड, आईसीयू और कई वेंटिलेटर भी खाली मिले। यही नहीं इलाज में भी मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा था। कई खामियां सामने आने के बाद टीम ने एक अस्पताल का लाइसेंस स्थगित और दूसरे का लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति कर रिपोर्ट सीएमओ को भेज दी है।

कोविड-19 की निगरानी के लिए बनाए गए जिले के नोडल अधिकारी सैंथिल पांड्यन के निर्देश पर बृहस्पतिवार से अस्पतालों का औचक निरीक्षण शुरू किया गया है। एक दिन पहले तीन बड़े अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया गया था। शुक्रवार को एसडीएम और नगर स्वास्थ्य अधिकारी की टीम सबसे पहले दोपहर करीब दो बजे सुशील अस्पताल पहुंची। यहां अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि उनके पास सभी बेड फुल हैं। दोनों अधिकारियों ने पीपीई किट पहनी और अंदर दाखिल हो गए। वहां आईसीयू में दो वेंटिलेटर बेड, वार्ड में 20 में से 7 बेड दो अन्य वेंटिलेटर खाली मिले। टीम को आईसीयू में मरीजों की चिकित्सकीय देखभाल के लिए इंटेसिविसिट चिकित्सक उपलब्ध नहीं मिले। इस अस्पताल में बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम 2016 का भी उल्लंघन पाया गया। इसके बाद करीब तीन बजे यह टीम गोविंदपुरम स्थित पैलेटिव अस्पताल पहुंची। यहां आईसीयू और वार्ड का औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान 10 आईसीयू बेड में से 3 बेड और 4 वेंटिलेटर खाली मिले। वहीं वार्ड में 20 में से सात बेड खाली पाए गए। टीम ने स्वस्थ्य हो चुके एक मरीज को भी डिस्चार्ज करने के निर्देश दिए। टीम ने सुशीला अस्पताल का लाइसेंस स्थगित और पेलेटिव अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की है।


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पीपीई किट में नहीं था स्टाफ

गोविंदपुरम के पेलेटिव अस्पताल में कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जा रहा था। यहां कोविड वार्ड के भीतर भी स्टाफ बिना पीपीई किट के घूम रहा था। यहां दो मरीज बिना कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट या सीटी रिपोर्ट के भर्ती पाए गए।

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फिजियोथेरेपिस्ट कर रहा था इलाज

पेलेटिव अस्पताल में सामान्य मरीज को भी कोविड वार्ड मेें भर्ती किया गया था। महिला मरीज से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह कोविड मरीज नहीं है। यहां कोई दक्ष चिकित्सक नहीं मिला। कोविड वार्ड में एक फिजियोथेरेपिस्ट इलाज के लिए तैनात किया गया था। आईसीयू में भी मरीजों की देखभाल के लिए इंटेसिविसिट चिकित्सक उपलब्ध नहीं था। इसके अलाया बायोमेडिकल वेस्ट की निस्तारण व्यवस्था सही नहीं पाई गई।

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कोट

निरीक्षण में दोनों अस्पतालों में कईं बड़ी खामियां पाई गई और बेड व आईसीयू के संबंध में भ्रामक जानकारी दी गई। सुशीला अस्पताल के पंजीकरण को स्थगित करने और पेलेटिव अस्पताल का पंजीकरण निरस्त करने की संस्तुति की गई है। - खालिद अंजुम, एसडीएम

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