मार्शल कौम है गुर्जर जाति- दिनेश गुर्जर




*देश के 29 राज्यों में लगभग 7 करोड है गुर्जर जाति के लोग दिनेश गुर्जर*


*गुर्जर संस्कृत शब्द है जिसका मतलब शत्रु विनाशक होता है दिनेश गुर्जर*


दिनेश गुर्जर अखिल भारतीय युवा गुर्जर महासभा प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश ने गुर्जर समाज के प्रति लोगों में गलत धारणा को लेकर अपने एक लेटर जारी करके गुर्जर समाज के इतिहास के बारे में मीडिया को जानकारी दी जिसमें उन्होंने बताया की

प्राचीन इतिहास के जानकारों के अनुसार गूजर मध्य एशिया के कॉकेशस क्षेत्र ( अभी के आर्मेनिया और जॉर्जिया) से आए थे लेकिन इसी इलाक़े से आए आर्यों से अलग थे. ... सातवीं से 12 वीं सदी में गूजर कई जगह सत्ता में थे. गुर्जर-प्रतिहार वंश की सत्ता कन्नौज से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैली थी

'गुर्जर तो चोर होते हैं, डाकू-लुटेरे होते हैं, भैंस चोर होते हैं।' ये लाइनें अक्सर गुर्जर समाज के लोगों को सुनने को मिल जाती हैं। थानों तक में दरोगा और इंस्पेक्टर तक ये बातें बोल जाते हैं। इसी बात को लेकर दो साल पहले दादरी के एक कोतवाल के खिलाफ लोग धरने तक पर बैठ गए थे। कई दिन तक आंदोलन चला था। आजादी के 71 साल बाद भी गुर्जर समाज अपराधी जाति का दाग छुड़ाने के लिए छटपटा रहा है। इस दाग को छुड़ाने के लिए सोशल मीडिया में अभियान से लेकर सेमिनार और गोष्ठियां तक आयोजित कर समाज के इतिहास को बताया जा रहा है।


आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण अंग्रेजों ने गुर्जर को अपराधी जाति में शामिल कर दिया था। आजादी के बाद सरकार ने क्रिमिनल ट्राइब एक्ट को समाप्त तो कर दिया, लेकिन अभी भी ऐसे लोग और यहां तक कि अफसर मिल जाएंगे जो गुर्जर समाज को अपराधी के रूप में देखते हैं। इतिहास बताता है कि अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब एक्ट 1871 के जरिए गुर्जरों को अपराधी जाति घोषित किया था। 1857 में आजादी की पहली क्रांति के दौरान मेरठ में कोतवाल धनसिंह गुर्जर ने क्रांतिकारियों तक संदेश पहुंचाने के लिए अंग्रेजों के घोड़े कैदियों को दे दिए थे। फरीदाबाद, गुड़गांव, ग्रेटर नोएडा के दादरी, सहारनपुर और गाजियाबाद एरिया में गुर्जरों ने युद्ध में अंग्रेजों को बड़ी हानि पहुंचाई थी  दादरी में राव उमराव सिंह को राजा घोषित कर दिया गया था। बाद में अंग्रेजों ने दमन चक्र चलाया। अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब एक्ट 1871 पारित कर गुर्जरों को आपराधिक जाति घोषित कर दिया। इस एक्ट मे गुर्जरो को पढाई व नौकरी देने की अनुमति नही थी व जहां दिखे सूट करने तक के और्डर दिए गए । क्रांति के लिए अंग्रेजों के घोड़े चोरी करने के कारण पशु चोर का तमगा भी दे दिया व अग्रेजो को लूटने के कारण गुर्जरो को चोर का तमगा देदिया गया और आज के लोगो को सोचना चाहिए कि उससमय देश गुलाम था अग्रेजो को हराकर  उन्हे लूटना भले ही उस समय की सरकार के लिए चोरी कही जाए लेकिन भारतीयो के लिए वो बहादुरी कही जानी चाहिए ना कि चोरी। चोर कहकर खुद ही गद्दारो की श्रेणी मे आजाते हो। 

गुर्जर जागीरदारों की जमीनें अपने चाटुकारों को को तोहफे में दीं। क्रान्तिकारियो को उत्तर प्रदेश व उससे सटे क्षेत्रो के अलावा किसी और राज्यो ने 1857 की क्रान्ति मे भाग नही लिया बल्कि क्रान्तिकारियो को खदेडने के लिए अंग्रेजो ने राजस्थान के रजवाडो कि सैना को उत्तर प्रदेश बुलाया। अगर उस समय दूसरे राज्यो से गुर्जरो को मदद मिलजाति तो भारत 1857 मे ही आजाद हो जाता और आज भारत दूनिया के विकसित देशो मे से एक होता। अफसोस आजादी के बाद 1857 के इन शहीद क्रान्तिकारियो के बारे मे ना तो देश मे पढाया गया और ना ही इनको उचित सम्मान मिला।


मार्शल कौम होने के बावजूद अंग्रेजों ने गुर्जरों की सेना में रेजिमेंट नहीं बनाई क्योकिं रेजीमेंट मे अग्रेजो के लिए लडना पडता था और गुर्जर उस समय सबसे बडे दुश्मन रहे अंग्रेज ही नही अरब आक्रांतो को रोकने व, मुगलो के शासन मे भी इनका यही व्यवहार रहा । 


आजादी के बाद गुर्जर जाति को अपराधी जाति से बाहर कर दिया, लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। लिहाजा वह समाज को जागरूक कर रहे हैं।


गुर्जर समाज के गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में लोगों को सही जानकारी नहीं है। अंग्रेजों से लोहा लेने के कारण अपराधी जाति में शामिल कर दिया गया था लेकिन आज भी कुछ लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। 


मुझे कई ऐसे लोग मिलते हैं जो गुर्जरों को लेकर गलत कमेंट करते हैं। चोर तक कहते हैं। जानकारी न होने के कारण समाज के लोगों के पास जवाब नहीं होता।

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