बाराबंकी। नगर के गांधी भवन में वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं प्रख्यात समाजवादी चिन्तक डॉ जी.जी. पारिख का 98वां जन्म दिवस सादगी के साथ मनाया गया। इस मौके पर श्री पारिख की अच्छी सेहत और लम्बी उम्र की प्रार्थना की गई। 




समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने बताया कि डॉ. पारिख का जीवन एक ऐसा दस्तावेज है, जिसके पन्ने पन्ने पर इतिहास बिखरा पड़ा है। उन्होंने अपने वक्त और बाद की पीढ़ी पर काफी असर डाला। वह 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय विद्यार्थी थे और आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस कारण उन्हें दस माह जेल में भी रहना पड़ा। लेकिन वह ऐसे स्वतंत्रता सेनानी नहीं हैं जो देश के आजाद होने के बाद चुप बैठ गये या सुख-आराम से रहने लगे। आजाद भारत में भी वह किसानों, मजदूरों, विद्यार्थियों के संघर्षों से जुड़े रहे। वह जे.पी. आंदोलन में भी सक्रिय रहे और आपातकाल विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया। 


श्री शर्मा ने कहा कि डॉ. जी.जी पारिख ने गांधी दर्शन और समाजवादी विचारधारा को जोड़ते हुए भावी पीढ़ी में अनूठी मिसाल पेश की। वह हर साल मुंबई में चौपाटी से गवालिया टैंक मैदान तक पैदल मार्च करते हैं। आज़ादी की 25वीं वर्षगांठ पर डॉ लोहिया ने डॉ जी.जी पारिख को पत्र लिखकर 9 अगस्त को जन दिवस यानि स्वतंत्रता दिवस मनाने का आग्रह किया था। जिस तिथि को गाँधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट स्वतंत्रता दिवस मनाने का आन्दोलन विगत एक दशक से चला रही। 


श्री शर्मा ने कहा कि डॉ. पारिख एक लंबे अरसे से समाजवादी पत्रिका ‘जनता’ के प्रकाशन का दायित्व संभाल रहे हैं। वह खादी ग्रामोद्योग आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव में आज भी वह रोज क्लीनिक में आते हैं और रोगियों का इलाज करते हैं। उनका हौसला और जज़््बा देखते बनता है। जो उनके इरादों को मजबूत करता है। 


इस मौके पर विनय कुमार सिंह, उमानाथ यादव ‘सोनू’, जमील उर रहमान, समाजसेवी अशोक शुक्ला, पाटेश्वरी प्रसाद, रंजय शर्मा, साकेत मौर्य, मृत्युंजय शर्मा, राजेश यादव, हुमायंू नईम खान, अशोक जयसवाल, अतीकुर्रहमान, पी.के सिंह, मनीष सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

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