आर्ट ऑफ़ लिविंग द्वारा नवरात्री के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम





*गाजियाबाद से कपिल शर्मा*




आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था की ओर से नवरात्री के शुभ अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम ग़ज़िआबाद में हो रहा हैI

 कोरोना महामारी से उभरने के बाद एक बार फिर से नवरात्री के महोत्सव को मनाने का सभी में उत्साह है. इसी मौके को जशन

 के रूप में मनाने के लिए तीन दिनों का कार्यक्रम रखा गया है।  

दिनांक 1.10. 2022 से 3.10.2022 तक NH-24 पर स्थित पांडव नगर के सोना गार्डन में महा गणपति होम, महा नवग्रह होम, कलश स्थापना व चंडी होम का आयोजन किया जा रहा है. इस होम के लिए आर्ट ऑफ़ लिविंग के बेंगलुरु इंटरनेशनल सेंटर के वैदिक धर्म संसथान के स्वामी और पंडित यहाँ पर वैदिक परंपरा से हवन और पुजाएँ करेंगे। साथ ही नवरात्री  महोत्सव को मनाने के लिए 2 .10. 2022 की शाम में डांडया का प्रोगाम भी रखा है. इन हवन, पूजाओं और डांडिया के महोत्सव को सभी के लिए 'ओपन टू ऑल' यानि मुफ्त रखा गया है. आप सभी का इस नवरात्री के उपलक्ष पर स्वागत है।  


कार्यक्रम का विवरण


वेन्यू :

सोना गार्डन, पांडव नगर,

NH 24, डायमंड फ्लाईओवर के समीप

ग़ज़िआबाद


अक्टूबर 1

महा गणपति होम                 8.30 am

महा नवनावग्रह होम             8.30 am

महा सुदर्शन होम                 6.00 pm

महा वास्तु होम                     6.00 pm


अक्टूबर 2

महा रूद्र होम           8:00 am

कलश स्थापना                            6:00 pm

चंडी परयाणा                               6.00 pm


अक्टूबर 3

श्री शत चंडी होम                    


नवरात्रि होम(यज्ञ) का महत्व


नवरात्रि उत्सव के नौ दिनों में हम अंतर्मुखी होते हैं और विश्राम का अनुभव करते हैं। इसके साथ ही सृष्टि में हो रहे दिव्य स्पंदनों और जीवन के अंतरतम स्रोत का उत्सव मनाते हैं।


नवरात्रि समारोह में कई होम अथवा यज्ञ किए जाते हैं । इन यज्ञों में संस्कृत भाषा में श्लोकों का पाठ करते हुए विभिन्न जड़ी-बूटियों और भेंट सामग्री को अग्नि में समर्पित किया जाता है; जिनका उद्देश्य सभी के लिए समृद्धि, शांति, सद्भाव लाना और भीतर व बाहर हर तरह के दुख को दूर करना है। वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया गया है कि यज्ञ वातावरण को शुद्ध करते हैं तथा  मन और शरीर पर उपचारात्मक प्रभाव पैदा करते हैं । यज्ञ  का उद्देश्य धरती माता के प्रति सम्मान और श्रद्धा जगा कर पर्यावरण की रक्षा करना भी है।

नवरात्रि का पर्व पारंपरिक रूप से देवी माँ के सम्मान में मनाया  जाता है। देवी माँ ऐसी कोई व्यक्ति नहीं हैं जिनके एक हाथ में बड़ा त्रिशूल हो। वह ऊर्जा का एक रूप हैं, स्वयं परमात्मा की अभिव्यक्ति हैं। इसलिए भिन्न समय में  इस दिव्यता द्वारा लिया गया रूप गणेश, चंडी (देवी), विष्णु या शिव का हो सकता है। नवरात्रि के प्रत्येक दिन हम दिव्यता के विशिष्ट गुणों का सम्मान भिन्न यज्ञों तथा भिन्न आशयों के साथ करते हैं।


श्री महा गणपति होम: यह यज्ञ देवत्व के उस पक्ष को अर्पित किया जाता है जो हमारे विकास और सफलता के पथ में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करता है। यह विघ्न हटाने और हमारे जीवन में शुभता को आकर्षित करने के लिए है। गणपति होम किसी भी नई परियोजना या उद्यम की शुरुआत से पहले किया जाता है।

 

नवग्रह होम: सृष्टि में सब कुछ जुड़ा हुआ है, और ब्रह्मांड के सभी विभिन्न क्षेत्र परस्पर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। यहाँ सभी कुछ शेष सभी को प्रभावित करता है। हमारे जीवन में प्रवेश करने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाने हेतु इन प्रभावों का सम्मान करने के लिए यह होम किया जाता है।


श्री महा रुद्र होम: हम सभी अपने जीवन में शुभता को आमंत्रित करते हैं। यह वेदों में बताए गए सबसे प्राचीन यज्ञों में से एक है। यह जीवन में आ गए ठहराव को गति देने व समग्र समृद्धि, स्वास्थ्य, प्रसन्नता, सफलता और बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। यह उन्हें अर्पित किया जाता है जो दुख को दूर करने वाले हैं।


श्री महा सुदर्शन होम: यह यज्ञ जीवन के पालनकर्ता को अर्पित जाता है, जो हमें सम्यक दृष्टि का आशीर्वाद देता है। यह अज्ञान को दूर करने और ज्ञान से परिपूर्ण एक नए जीवन की शुरूआत करने के लिए है। यह विशेष रूप से भ्रम और मानसिक अवरोधों को दूर करने और स्पष्टता देने के लिए है।

 

विष्णु सहस्रनाम का जप: सहस्रनाम का शाब्दिक अर्थ है "हजारों नाम"। यह जाप जीवन में सफलता लाने के लिए किया जाता है। यह सृष्टि को बनाए रखने वाली ऊर्जा के प्रति समर्पित है।


श्री चंडी होम: चंडी यज्ञ  नवरात्रि के सभी यज्ञों  के शिखर का प्रतीक है। यह स्वयं और पर्यावरण दोनों में नकारात्मक प्रवृत्तियों और विकास की बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य शक्ति, उत्साह और आत्मविश्वास को बढ़ाना भी है। यह दिव्यता के उस गुण को अर्पित किया जाता है जो हमारी रक्षा करता है और रचनात्मकता का पोषण करता है।


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देवी शक्ति

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर


नवरात्रि की ९ रात्रियां अत्यंत अनमोल होती हैं और वे सूक्ष्म ऊर्जा से समृद्ध होती हैं | इन ९ दिनों के दौरान देवी शक्ति के ९ रूपों की पूजा अर्चना  की जाती है | नवरात्र के पहले तीन  दिन महादुर्गा के रूप होते हैं, जो वीरता, आत्मविश्वास और तमोगुण की अधिष्ठाता का प्रतीक हैं | नवरात्र के ४ से ६ दिन महालक्ष्मी के रूप होते हैं जो धन और रजोगुण की अधिष्ठाता का प्रतीक हैं | नवरात्र के आखिरी तीन दिन महासरस्वती का रूप हैं जो ज्ञान और सत्व गुण की अधिष्ठाता का प्रतीक हैं | यह तीन मुख्य गुण हमारे विशाल ब्रह्माण्ड की  स्त्री शक्ति माने जाते हैं | नवरात्र के दौरान देवी की पूजा अर्चना करने से हम इन तीन गुणों में सामंजस्य स्थापित करते हैं जिससे वातावरण में सत्व की वृद्धि होती हैं | नवरात्र जड़ता और नकारात्मक प्रवृत्तियों से छुटकारा पाने का समय है, जिसे देवी द्वारा बैल का वध करने के रूप में सुंदरता से दर्शाया जाता है | जो सुस्त,असंवेदनशील  और जड़तापूर्ण होता है हम उसे क्या कहते हैं ? एक बैल ! सिर्फ देवी माँ ब्रह्मा,विष्णु और महेश की संयुक्त ऊर्जा से ही इस बैल का विनाश कर सकती हैं | जैसे एक शिशु को जन्म लेने में ९ महीने लगते हैं, वैसे ही देवी ९ दिनों के विश्राम के उपरांत  १० वें दिन भक्ति और पवित्र  प्रेम के रूप में प्रकट होती हैं | उस पवित्रता और भक्ति से देवी ने सुस्ती और जड़ता वाले बैल पर विजय प्राप्त की |

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