पहले एसडीएम कोर्ट से जमानत होती थी आसान लेकिन कमिश्नरी में हुआ बदलाव
साहिबाबाद थाना क्षेत्र में पति पत्नी के बीच
में विवाद हुआ पति श्याम नारायण के खिलाफ पत्नी ने कोई तहरीर नहीं दी थाने की पुलिस ने 151 में दाखिल कर दिया! कोई बात नहीं 151 में जमानत सिंपल होती है,ऐसा पुलिस ने बताया लेकिन ऐसा नहीं हुआ 5000 तो एक दरोगा खा गया दूसरा !
एसीपी को जमानत देने के लिए आना था वह समय पर आ नहीं पाए फिर वकील कहते रहें हम करा देते है,इतना लगेगा एक तरफ दरोगा पैसे ले गया दूसरी तरफ जमानत नही हुई 151 में यह भी सुनना बाकी रह गया था !
हासिल कुछ नहीं हुआ व्यक्ति श्याम नारायण डासना जेल पहुंच गया!, क्योंकि जिस एसीपी को जमानत देनी थी वह समय पर नहीं आए ! कल फिर यही शुरू होगा महंगाई बढ़ गई दूसरा कमिश्नर प्रणाली की फीस !
कुछ दिनों पहले साहिबाबाद थाने का एक मामला ऐसा ही आया जमानत कोतवाली थाने से होनी थी वहां के बाबुओं ने ₹ 50 हजार की गारंटी मांगी!
वैसे आज भी इस मामले में भी गारंटी मांगी अंग्रेजी प्रणाली आ गई क्या-क्या कमिश्नरी न्याय देगी क्या पहले अंग्रेज भी न्याय देते थे क्या!
अभी तो ट्रांस हिंडन में सुना देहात में भी यही हाल होगा सिटी में भी यही हाल होगा !
क्या ऐसे ही मिलेगा न्याय या चैन की बंशी बजा कर जनता की डफली बजती रहेगी !
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